लेखनी कहानी -03-Jul-2023# तुम्हें आना ही था (भाग:-3)# कहानीकार प्रतियोगिता के लिए
गतांक से आगे:-
राज जैसे ही स्टडी रूम में पहुंचा मिस्टर भूषण प्रसाद ने अपने जूनियर से बात करके फोन रखा ही था।राज को देखकर उसकी ओर मुंह करके बैठ गये और उससे भी सामने वाली कुर्सी पर बैठने के लिए कहा।
"अब बताइए अंकल आपने मुझे ऐसे जल्दबाजी में यहां क्यों बुलाया कोई जरूरी काम था ?"राज ने उत्सुकतावश पूछा।
"हां , हां बेटा बहुत ही जरूरी काम था तुम से । तुम्हें नयना ने बता ही दिया होगा कि आजकल मैं उस पुराने किले के खंडहरों की खुदाई में लगा हूं।"
"जी अंकल ।नयना ने मुझे बताया।
"कल बहुत ही बड़ी सफलता हाथ लगी है पर मैं उस चीज को देखकर बहुत हैरान भी हूं।"
"ऐसा क्या देखा आप ने अंकल?*
"बेटा कल मुझे उन खंडहरों में एक तहखाना मिला है ।हमारे पूरी टीम अपनी सफलता पर खुशी मना ही रही थी कि तभी मेरा जूनियर और मैं उस तहखाने में गये तो वो बिल्कुल महल के एक कक्ष जैसा लग रहा था लेकिन वहां पर बहुत सी मूर्तियां गढ़ी हुई रखी थी ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी नर्तकी की मूर्तियां हो ।उन मूर्तियों में इतनी सजीवता थी कि ऐसे लगता था जैसे अभी मुंह से बोल पड़ेगी।मैं उस तहखाने में थोड़ा ऊपर की ओर जा रही सीढ़ियों पर गया तो वहां एक तस्वीर लगी थी जिसमें वहीं मूर्ती वाली नर्तकी ओर एक लड़का खड़ा था ।मैंने जब वर्करों से उस तस्वीर की धूल साफ करवाईं तो मेरे होश ही उड़ गये।"
"क्यों अंकल ऐसा आप ने क्या देख लिया उस तस्वीर में?" राज की उत्सुकता चरम पर थी।
"उस तस्वीर में उस राज नर्तकी कू साथ तुम खड़े थे।"भूषण प्रसाद की आंखों की पुतलियां पूरी फैल चुकी थी।
राज को जोर से हंसी आ गई और वह ठहाका लगाकर हंस पड़ा और बोला,
"क्या अंकल आप भी ना।कैसी बातें कर रहे हो ।वो किले के खंडहर दो सौ साल पुराने हैं ।आप तो पुरातत्व विभाग में हो आप तो इस किले की हिस्ट्री जानते ही हो। लाइब्रेरी में मैंने पढ़ा था कि ये किला कोई जलजला आया था जिसमें ये पूरा किला धरती में समा गया था।बस इसके ऊपर के भाग के कुछ अवशेष ही जमीन से ऊपर थे ।"
"हां , हां बेटा मुझे सारा पता है पर जब खुदाई में ये तहखाना निकला और उसमें ये तस्वीर तो मैं हैरान रह गया।आजकल में तुम्हारे साथ कुछ अजीब वाक़या तो नहीं हुआ कोई?"भूषण प्रसाद ने कुछ सोचते हुए कहा।
राज को जैसे शाम की बात याद आई तो वो बोला,"हां अंकल एक बात तो हुई है मेरे साथ।"
"क्या?"भूषण प्रसाद ने राज के मुंह की ओर देखा।
राज ने उस लड़की की सारी बात अपने अंकल को बता दी।
"और एक बात नोटिस की मैंने वो जब गाड़ी में बैठी तो मेरी गाड़ी के वाइपर अचानक से चलने बंद हो गये और उसे इतनी मूसलाधार बारिश में भी सब कुछ गाड़ी के शीशे से दिखाई दे रहा था।एक बात और बताइए अंकल वो लड़की जिसे मैंने लिफ्ट दी थी वो उस खंडहर पड़ी लाल हवेली में गयी थी । क्या वहां कोई रहने आ गया है क्या?*
राज के अंकल को जैसे करंट सा लगा । कुछ सोचते हुए बोले,"एक मिनट राज ….. हां उस तस्वीर में बैकग्राउंड में जो घर दिखाई दे रहा है वो वहीं लाल हवेली ही है । मैं भी सोचूं कि ये हवेली देखी हुई सी लग रही है।"
"ये आप क्या कह रहे हैं अंकल उस तस्वीर में भी वही लाल हवेली है और आज मैंने उस लड़की को भी उसी हवेली में जाते हुए देखा ।और एक बात मैंने तो उस लड़की के कपड़ों पर गौर ही नहीं किया था अब सोच रहा हूं कुछ तो अजीब सा पहन रखा था ।कुछ नया-नया सा जो उस पर फब रहा था अब याद आया उसने कोई नर्तकी टाइप कपड़े पहन रखे थे जिस में वो बला की खूबसूरत लग रही थी।"
भूषण प्रसाद ने राज को आहिस्ता बोलने के लिए कहा और बोले,"अभी ये तस्वीर वाली बात मैंने नयना से भी छुपा रखी है तुम तो जानते ही हो नयना तुम्हें बचपन से ही पसंद करती हैं वो बचपन में भी किसी लड़की को तुम्हारे पास फटकने नहीं देती थी अगर उसे ये पता चल गया कि तुम्हारी शक्ल के लड़के की तस्वीर यूं कोई और लड़की बैठी है तो उसका जलन से बुरा हाल है जाएगा।"
राज को तो अभी तक इस बात का पता ही नहीं था कि नयना के दिल में भी उसके लिए कोई साफट कार्नर है वो तो उसके साथ बचपन की दोस्त की तरह बर्ताव करता था।वो एकदम से बोला,"अच्छा…….ये बात है फिर तो उसे बताना खतरे की घंटी बजाना है क्या पता किचन से चाकू लाकर मेरे ही पेट में घुसेड़ दे।" यह कहकर राज खिलखिला कर हंस पड़ा।
भूषण प्रसाद भी उसकी हंसी में शामिल हो गये।
नयना राज के कमरे में दूध रखकर कभी की सोने जा चुकी थी ।राज आज बुरी तरह से थक गया था सोई मौसम भी ठंडा हो गया था ।राज ने गरमागरम दूध पीया और बिस्तर में घुस गया । अत्याधिक थका होने की वजह से राज जल्द ही सो गया ।
रात करीब ढाई बजे राज को ऐसे लगा जैसे उसके बिस्तर के पास वहीं लड़की खड़ी है जो रास्ते में मिली थी जिसको उसने पुरानी हवेली पर छोड़ा था।वह उसे साफ साफ देख रहा था ।उसने वास्तव में ही सफेद मोतियों जैसे वस्त्र पहन रखे थे वह एक पुराने जमाने की नर्तकी जैसे वस्त्र पहने हुए थी ।उसकी आंखों में आसूं थे उसकी आंखें कुछ बोलना चाह रही थी ।तभी वह धीरे से बुदबुदाई,
"तुम आ गये देव , मुझे पता था एक दिन तुम ज़रूर आओगे । दुनिया की कोई ताकत तुम्हें मुझसे जुदा नहीं कर सकती।"
कहानी अभी जारी है………
Mohammed urooj khan
29-Aug-2023 11:13 AM
Nice part
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KALPANA SINHA
12-Aug-2023 07:12 AM
Very nice
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Varsha_Upadhyay
11-Jul-2023 09:13 PM
Nice one
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